जैसे गुड़ सभी तिलों को जोड़कर लड्डू बनाता है उसी प्रकार प्रेम भाव सभी व्यक्तिओ को जोड़ कर मीठा लड्डू बनाता है मकर संक्रांति का पर्व पूरे भारत मे विभिन्न नामो से मनाया जाता है ये केवल संस्कृति का पर्व नहीं है बड़ी एक बहुत बड़ी खगोलीय घटना है मध्य रात्रि में अगर हम आकाश में देखें तो आकाश तारो से भरा रहता है हजारो सालो पहले हमारे पूर्वजों ने उन तारो को देख कर चंद्रमा की कलाओं को जान कर सूर्य को उदय होते अस्त होते देख कर उसके साथ प्रकृति में हुवे परिवर्तन को जान कर इस पर्व की रचना की थी।तारो के उस समूह को बिंदु वार मिलने से कृत्रिम आकृति बनती है जो कभी मेष कभी तुला कभी मकर कभी मिथून के आकार की होती है ऐसी सभी आकृतियों की पहचान करके उनको राशि नाम दिया गया जो 12 है उसी प्रकार तारो के एक दूसरे समूह के आधार पर अलग नाम दिया उनको नक्षत्र कहते है उत्तर आकाश याने हमको अभी दिखाई देता है जो,दक्षिण आकाश याने नीच का ।
तो पृथ्वी से देखने से सूर्य चलता प्रतीत होता है चंद्रमा चलता प्रतीत होता है इन सबका बहुत ही सटीक गणित करके ये निष्कर्ष निकाला था कि आज ही के दिन सूर्य मकर राशि मे आता प्रतीत होता है जो सूर्य की गति को उत्तरायण की तरफ होने लगती है।
प्रकृति में भी परिवर्तन आने लगते है इस खगोलीय घटना को जोड़ा
1 अध्यात्म से याने आज के दिन जप करने से वो सिद्ध हो सकता है
2 ज्योतिष से
3 संस्कृति से
4 समाज से
याने ये पर्व सामाजिक समरसता का है इस दिन प्रत्येक हिन्दू ने सुपात्र को दान अवश्य करना चाहिए आपके आस पास रहने वाले अभावों से ग्रस्त मानवों की सेवा करने का प्रयास इस दिन जरुर करें।और हाँ तिल की।मिठाई खाना न भूलें।
मकर सक्रांति की सभी को राम राम।
🙏🏻🙏🏻
No comments:
Post a Comment