समस्या ये ही है हम छोड़ नही सकते
मुंख मोड़ नही सकते
होंगे बहुत जिनको
न फ्रिक तिंरंगे के अपमान से
न परवाह भारत माँ के अपमान से
पर हम झुक नही सकते
पर हम रुक नही सकते
कुछ कर न पाये तो
अपनी बात को लिख तो
यो ही सकते है
हम छोड़ नही सकते
हम मुंह मोड़ नही सकते
कश्मीर शैव दर्शन का है
कश्मीर कल्हण का है
कश्मीर हरिसिंह का है
कश्मीर प्रेमनाथ का है
कश्मीर श्यामाप्रसाद का है
कश्मीर उन हजारो जवानो का है
जिनके रक्त के कण कण से
सिंचित है ये धरा
उसमे पढ़ने
उन्नत कॅरियर बनाने
एक होनहार छात्र यो गया
वहां नित तिरंगे का अपमान होते देखा
वहाँ मुस्तफा के नाम पे भारत को कुचलते देखा
वो चाहता क्या है??
बस तिरंगा न??
लेकिन उसको मिलता क्या है??
सर पर खून से सना डंडा
नही हम मुख मोड़ नही सकते
नही हम छोड़ नही सकते
गर कुछ कर न पाये
लिखना तो छोड़ नही सकते
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Friday, April 5, 2019
हम छोड़ नहीं सकते
Monday, March 18, 2019
होली के रंग......
पलाश के फूलों की महक से
महकता आँगन
चंग की थाप से
झूमता हर आँगन
होरी गैर से मदहोश सा
वो मस्त मचलता यौवन
अब कहाँ?
अब कहाँ?
की बोर्ड की यांत्रिक होली
चंद साइट्स पर थोथी
शुभकामनाएं
न कस कर रंग लगाना
न ही रंग लगवाना
पानी मे होता अब प्रदूषण
गहरे हानिकारक रसायन
में वो अबीर केसर की महक
अब कहाँ?
अब कहाँ?
आलू के चुपके से छापे
कही एकदम से
गुब्बारे का फूटा रंग
जोर जोर हँसते
गाते बच्चों की
ये उन्मुक्त टोलियाँ
अब कहाँ?
अब कहाँ?
आओ हम भी खेले
होली जी भर के
रंग से रंगा यूं जीवन
चंग की धुन सा
भंग की मादकता सा
उन्मुक्त-स्वच्छंद-महकता
यौवन..............
Friday, February 15, 2019
वो बांह मुझे बुलाती है
अपनी ताकतवर बांह से
उठा कर अपनी दूध मुंही को
माथे पर घनि मूंछों से ढकें
अपने होंठों उसके माथे पर
हल्का सा चुम्बन लिया
सोचा अगली छुट्टियों में
आराम से आऊंगा
जी भर कर बेटी के साथ
खेलूंगा
अभी जाना सदूर सरहद पर
जन्नत पर
अपनी पत्नी को जाते समय
प्यार से वो बोला
ख्याल रखना गुड़िया का मेरी
और उसी बांह से भरा उसको
उसी से चरण स्पर्श किये
वृद्ध माँ बाप
लेके उसी बांह में 47
चला वो सदूर कश्मीर
आज वो बांह पड़ी सड़क पर
बुलाती उसको उसकी बिटिया
बुलाती उसको उसकी पत्नी
उसके मां बाप
उसके बहन की राखी
वो बांह भारत की
जो तुम भूल जाओ तो
तुमसे बेगैरत कौम न होगी
सोते जागते
याद रखना
वो बांह खून से लिपिटी पड़ी सड़क और
बुलाती तुमको
पुकारती तुमको
कह अभिषेक
देखी जब यह तश्वीर
मन न कोई लगता
आंखों के सम्मुख रह रह
कोई आ जाता है
वो बांह मुझको बुलाती
वो बांह तुझको बुलाती
वो बांह हमको बुलाती
..................
😔