Sunday, January 21, 2018

गृहस्थ धर्म मे प्रवेश के समय लिखी काव्य समिधा

आज से मेरा धर्म बदल जायेगा
कुछ पुराना छूट जायेगा
कुछ नया जुड़ जायेगा.
ये नयी राह आसन नहीँ होगी
ये नई उमंग कठिन ही होगी
ये पथ काँटों  का ही तुम देना
मार्ग सुगम हो तो
चलने का मजा ही क्या
सोचा था कभी
गँगा का तट होगा
फूस का झौपडा होगा
मात्र कोपीन  होगा
ईश्वर भक्ति में हाथ आगे हो
उसमे जो आ जाये वो
मधुकरी सी
वेदांत का श्रवण मनन
शिव ज्ञानेन जीवन
शायद  अब फ़िर कभी
फ़िर कभी
फक्कड़ से आ के जो
मिले  मस्ती वाले
पागलों की जमात में
स्वागत है तुम्हारा
स्वागत  है तुम्हारा  Shobhana Joshi
निश्चय जीवन सत 
चित  आन्नदमय
संवित मय जीवन
निरंतर कष्ट देना
माँ तुम
हम दोनो तनिक भी
तुमको न भूलें
तेरे ही प्रताप से
तीर गये करोडो जीवन
हम दोनो को देना
तुम आशीर्वाद भगवती
धर्ममय गृहस्थ बसाये
सम्वित मय जीवन बसाये
संघ मय कर्म बसाये
पर हित मय मन बनाये
गँगा तीर का झौपडा
सा निश्छल निर्मल
जीवन होगा
सखि  वैसा ही
पवित्र आँगन होगा
वैसा ही
पवित्र आनंद  होगा

Tuesday, January 16, 2018

प्रवीण भाई जी तोगड़िया

आपको क्या लगता है कि व्यक्ति शक्तिशाली होता है?एक बार फिर हिंदुत्व को समझिए ,शक्तिशाली होता है विचार जो व्यक्ति के माध्यम प्रकट होता है।जो जो व्यक्ति जितना जितना उस विचार को जीता है उतना उतना उसमे तेज उत्पन्न होता है उस तेज का ही प्रभाव सब ओर पड़ता है।विचार शास्वत है।स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है कि विचार को आविष्कृत करके नष्ट हो जाओ तो भी विचार नष्ट नही होगा।सनातन मूल्यों का ये ही अर्थ है।अधिकांश लोग सत्ता को ही सब कुछ मानते है सत्ताधारी उनके लिए भगवान हो जाता है ठीक है कि सत्ताधारी अगर आदर्श हो तो उसका ओज उत्पन्न होता है पर प्रत्येक व्यक्ति में कोई न कोई दुर्गुण होता ही है समय बहुत स्पष्टता से बताता है ये।विचार को सत्ताधारी कितना अपनाता है उतने तक ही हमारी आसक्ति रहनी चाहिए,अनावश्यक मोह किसी काम का नही।अगर आप को इतिहास नही पता तो वापस पता करिये।विचार से भिन्न हो जाने के कारण ही आदरणीय दन्ततोपंथ जी ठेगडी में बहुत बड़ा आंदोलन किया था दिल्ली में।तब के सत्ताधारी से उनका कोई व्यक्तिगत राग द्वेष नही था पर उनकी नीतियां ठेंगड़ी जी को नही सही लगी,उन्होंने भविष्यवाणी सी कर दी।अरुष शौरी और प्रमोद महाजन बृजेश मिश्रा को से तो उस समय अपने लोग इतना ज्यादा नाराज थे पूछिये मत।लेकिन उनका सुना नही गया।नतीजा सारे राष्ट्र ने भुगता है।
आज जब सत्ताधारी की चमचागिरी में काल्पनिक लोग प्रवीण भाई जी तोगड़िया के चरित्र हनन का अभियान चला रहे है को सत्ता के आस पास भी नही है तो मुझे बार बार ठेंगड़ी जी याद आते हैठीक है वो ठेंगड़ी जी नही है उससे क्या?उसका विचार गलत है तो बताओ?
केन्डे सरकार के साथ राज्यो सरकारों ने हिन्दुओ की समस्याओं के स्थाई समाधान के लिए क्या किया?जोधपुर में ही लवजिहाद के इतने केस है बताओ इस समस्या का स्थायी समाधान क्या किया?
जातीय द्वेष फैलाने वाले विभिन्न नामो से सक्रिय है पहले से भी प्रचंड रूप से उसको रोकने में सत्ताधारियो की तरफ से स्थाई समाधान क्या किया?
गौ तस्करी को रोकने में?
गौ संरक्षण में?
हिन्दुओ की शिक्षा में?
हिन्दुओ की चिकित्सा में?
हिन्दुओ के रोजगार में?
हिन्दू किसानों की आय में?
हिन्दू कारीगरों के लिए?
मुस्लिम तुष्टिकरण की समस्या में?
आदरणीय अशोक जी सिंघल को लगता था कि 800 साल बाद हिन्दुओ का राज आया है उनको ठीक लगता था आज जनवरी 2018 में वो होते तो पूछते नही कि राम जी का वनवास क्यो है अभी तक?घर वापसी का क्या हुवा?धार की यज्ञशाला सुनी क्यो है अभी तक?ओर तो छोड़ो राजस्थान में क्यो अभी तक राजा मानसिंह पर ही लंबे लंबे पाठ है पर स्वत्रन्त्रय देवी पर अपना रक्त चढाने वाले चन्द्रसेन और महाराणा प्रताप क्यो उपेक्षित है?
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तोगड़िया को तो तुमने कोंग्रेसी सिद्ध कर दिया पर ये मत भूलना कि डॉक्टर जी भी कोंग्रेसी ही थे।कोंग्रेस में कोई काम करे इस मात्र से घृणा सिखाने वाला हिंदुत्व न पहले था न आज है न आगे होगा।ठेंगड़ी जी तो कम्युनिस्ट तक से मित्रता रखते थे।

Friday, January 12, 2018

हमारा संविधान हमारी शान,हमारा सुप्रीम कोर्ट हमारी पहचान।

मुझे भारत की न्यायिक सिस्टम पर पूरा भरोसा है भले ही जज की विचारधारा कुछ भी हो वो निर्णय देते समय हमेशा तथ्य देखते है ठीक है कभी कभी हमको लगता है गलत हुवा है पर वो हमारा राग द्वेष होता है।कौन जाने इस मंथन से अमृत निकले?कल हलाहल तो निकल ही चुका है अब अमृत की ही बारी है........।देश मे शायद ऐसा पहली बार हुवा है कि इतने सारे लोगो को सहानुभूति सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के साथ है।संविधान अनुसार ही देश चलेगा अगर किसी भी व्यक्ति ने संविधान का उल्लंघन किया तो उसको सजा मिलनी चाहिए पर मात्र अटकलों के आधार पर सनातन धर्म मे निष्ठा रखने वाले जस्टिस दीपक मिश्रा को आरोपो के घेरे में कृपया न खड़ा करें,कल उन्होंने इस मंथन का हलाहल पी लिया था सोचे क्या होता वो भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर देते वापस हाथों हाथ?गम्भीर संवैधानिक संकट खड़ा नही हो जाता?कौन सा केस किसको देना है ये तय करना चीफ जस्टिस का अधिकार है तो इससे बाकी को क्यों ईगो प्रॉब्लम होनी चाहिए?फिर एक सामान्य व्यक्ति की नजर से सोचे कि अगर एक केस को कोई मिश्रा देखे या कोई कुरियन देखे तो क्या फर्क पड़ता है?तो किसी कुरियन को आपत्ति क्यो होनी चाहिए?हमारे लिए तो दोनों ही सम्मानीय जज है अगर कुरियन साहब को चेलेश्वर साहब को गोगोई साहब और मदन साहब को आपत्ति है तो सब मिल कर महामहिम के पास जा सकते है राष्ट्र के मुखिया तो वो ही है न?फिर ये कैसी प्रेस कॉन्फ्रेंस जिसमे आप पर सन्देह हो रहा है?एक विशेष विचारधारा के लोग से ही आप लोग क्यो गिरे हुवे है?आपने माना है कि चीफ ही तय करते है केस फिर भी वो रेशनल नही है?इसका क्या अर्थ?अगर आपको लगता है कि आपके साथी जज चीफ को छोड़ कर के वो उचित नही है तो आप न्यायपालिका की अवमानना नही कर रहे है?आखिर जस्टिस करनन ने भी तो ये ही कहा और किया था न?तब आप सभी ने मिलकर उनको सजा क्यो दी?उनसे माफी मांगिये अब या फिर खुद सजा भुगतिये।करनन साहब ने भी ये किया था जो अब आप चार लोग कर रहे है
1 बिना तथ्य के आरोप लगाना
2 पूरी न्यायपालिका पर सन्देह पैदा करना
3 न्यायमूर्तियों को जाती के आधार पर बांटना
4 खुद को छोड़ बाकी सभी जजो को बिका हुवा कहना
5 केसों के मामले में सामान्य से कनिष्ठ अभियंता स्तर तक के कर्मियों की तरह बच्चों की तरह झगड़ना
6 मात्र चीफ जस्टिस नही बल्कि बाकी सभी जजो पर सन्देह करना
7 आज कुछ लोग आप पर कुछ लोग चीफ पर अंगुली उठा रहे है क्या ये सही हो रहा है?
8 क्या गरीब आदमी दिग्भर्मित नही हो गया है?
9 क्या यह एक प्रकार का नक्सलिज्म नही है जिसमे स्थापित सभी संस्थाओं पर  सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में आप सभी का कभी नही भरने वाला भयंकर आघात है?
10 क्या न्याय भी अंहकार से चलेगा?
दुःखद बहुत दुःखद।सच मे एक विशेष विचारधारा अभी भी लोकतांत्रिक हार को पचा नही पा रही है।पार्टियां आएगी चली जायेगी मोदी आप मैं सभी काल के गराल घाह में समा जाएंगे तो भी ये राष्ट्र जीवित रहेगा और उस राष्ट्र को बहुत मेहनत से हमारे राष्ट्र निर्माताओं ने सही मार्ग पर लगाया है सिस्टम डेवलप करने की कोशिश की है किया है शिकायते बहुत है हमको,उसका समाधान भी तो हमारे सिस्टम में ही है न?
क्यो आप लोग लगातार हार से फ्रस्ट्रेड एक विशेष सोच के लोगो को अराजकता की ओर धकेल रहे हो?
सुन लीजिए सर जी!! राष्ट्र आप सब से बहुत बड़ा है............।

Thursday, January 11, 2018

स्वामी जी हमारे अपने विवेकानन्द

स्वामी जी को पढ़ लो आप फिर पढ़ना ही बाकि नही रहता है स्वामी जी ने ही मुझे कदम कदम पर प्रेरित किया है जब भी मैं निराश हो जाता हूँ तो उनके वचन गूंजते है वो सन्यासी है योद्धा सन्यासी है उनकी वाणी ईश्वरीय वाणी है जब वो बोलते है तो वज्रपात होता है वो बोलते बोलते चलने लगते है वो स्वामी जी है जो मिशनिरियो को बोलते तो पोंगाब्रह्मनो को बोलते तो सुप्त पड़ी हिन्दू जाती को बोलते है उनकी एक या दो किताब पढ़ कर ही लाखो करोडो लोगों ने अपना जीवन सँवारा है संघ आज जो कार्य करता है उसके बीज स्वामी जी ने बो दिए थे स्वामी जी के साहित्य को जो भी पढ़ेगा उसके भीतर आदर्श का संचार होगा, उसके अंदर वो ओज उत्पन्न होगा जिसको कोई सहन नही कर पाए वो यज्ञ को पवित्र अग्नि के समान है उनके कार्यों का क्या बखान करूँ समझ नही आता।मेरे तो प्रत्येक शब्द उनके ही ऋणी है।वो चिर युवा है।
संघ के प्रचारक गण एक बात कहते है कि जो भी तेजस्वी युवा होगा वो अपने कमरे में स्वामी जी का बड़ा से बड़ा चित्र लगायेगा।युवाओं के आदर्श है वो,हाँ हमको स्वामी जी ही बनना है।उनके ही शब्दों में
तुम विचरण करो गेंडे के समान एकांकी
तुम चिघाड़ो हाथी के समान एकांकी
तुम दहाडो सिंह के समान एकांकी