Tuesday, December 29, 2020

फ्रांस के सेक्युलर गणतंत्र पर आघात :एक ग्लोबल समस्यावर्तमान

वर्तमान विश्व के अंदर सभी दुनिया के देशों के लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सबसे ज्यादा यूरोप के देशों के लोकतंत्र की व्यवस्था का है | आधुनिक लोकतंत्र यूरोपियन लोकतंत्र की नकल है कहना भी  कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी पूरी दुनिया पर राज करने वाले इन यूरोपियन ने हर देश को लूट कर बहुत संपत्ति अर्जित की थी |अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे बड़े महाद्वीपों पर तो अधिकांश आबादी को समाप्त कर यूरोपियन लोग बसे और दूसरे देशों से भी वहां कभी दास के रूप में कभी प्रोफेशनल के रूप में लोग बुलाए गए |धीरे-धीरे समय के साथ वहां मानव सभ्यता का विकास हुआ एवं इन्होने सभी नस्लों के ,सभी जातियों के ,सभी मजहबों  के ,सभी प्रकार की संस्कृतियों के लोगों को एक नागरिक के रूप में अधिकार मिलना वहां प्रारंभ हुआ |  इस प्रकार से प्राय अधिकांश लोकतांत्रिक देशों के अंदर एक संविधान का गठन हुआ है| इस संविधान की दृष्टि में उस देश के सभी नागरिक सम्मान है और सभी नागरिकों को उस देश की संस्कृति और परंपरा के अनुसार स्वतंत्रता प्राप्त है|  सभी लोकतांत्रिक देश वयस्क मताधिकार के द्वारा सरकार चुनने की आजादी अपने सभी नागरिकों को बिना जाति-वर्ग-लिंग-धर्म-संस्कृति के आधार पर भेद किए हुए देते हैं इस सबके बीच फ्रांस के लोकतांत्रिक देश का क्या महत्व है और आज क्यों पूरी दुनिया के अंदर फ्रांस के राष्ट्रपति इम्मानुएल मेक्रोन की कहीं प्रशंसा हो रही है तो कहीं निंदा हो रही है इसको हम को समझने से पहले हमको भारत के जगत विख्यात स्वामी विवेकानंद जी महाराज का यूरोप के इस  देश फ्रांस के बारे  में कहा वचन समझना होगा वो फ्रांस को  स्वतंत्रता का जन्म स्थान बताते हुवे कहते  है

France is the home of liberty. From here, the city of Paris, travelled with tremendous energy the power of the People, and shook the very foundations of Europe. From that time, the face of Europe has completely changed, and a new Europe has come into existance. 'Liberté, Egalité, Fraternité, is no more heard in France; she is now imitating other ideas and purposes, while the spirit of the French Revolution is still working among the other nations of Europe.

न केवल यूरोप बल्कि पूरा का पूरा विश्व फ्रांस की राज्य क्रांति के फलस्वरूप इन तीन शब्दों स्वतंत्रता समानता और बंधुत्व की प्रेरणा से बहुत ही ज्यादा प्रभावित हुआ है| सभी संविधान जो लोकतंत्र के माध्यम से चलते हैं उन्होंने इन तीन शब्दों को स्वीकार किया है| भारत के संविधान निर्माता भारत रत्न बाबा साहब अंबेडकर ने भी हमारी प्रस्तावना के अंदर स्वतंत्रता समानता और बंधुत्व की बात कही है हां यह बात जरूर है कि बाबा साहब के मतानुसार उन्होंने यह 3 शब्द फ्रांस की राज्य क्रांति से ना लेकर प्राचीन तथागत के बौद्ध संघ धर्म से लिया है पर जो भी हो इससे हमको आधुनिक लोकतंत्र पर फ्रांस के प्रभाव की व्यापकता का अनुमान होता है |

 

       फ्रांस ने अपने परिपक्व लोकतंत्र को अनेक चरण में पूरे कर कर वर्तमान स्थिति तक पहुंचा है वर्तमान संविधान 1958 में स्वीकार किया गया था क्योंकि सारा यूरोप और पश्चिम एशिया रिलीजन की कट्टरता और सत्ता पर लोह जकडन  से ग्रसित रहा है और  मानव अधिकार पर वहां पादरी का पहरा था पॉप राजा से भी बड़ा बन गया था  इस मजहब  एवं चर्च की राज्य व्यवस्था में अनुचित हस्तक्षेप के कारण ही यूरोप में 15 वीं शताब्दी में पुनर्जागरण हुआ तो सारे यूरोप के देशों के अंदर यह धारणा थी  चर्च और सत्ता को राजव्यवस्था में अलग रखना चाहिए जिसे उन्होंने सेकुलर नाम दिया इस सेकुलर शब्द का चिंतन फ्रांस में बहुत ही गहराई तक हुआ है और फ्रांस के लोकतांत्रिक मनीषियों ने यह निष्कर्ष निकाला कि जो भी रिलीजन है उसका सार्वजनिक प्रदर्शन नहीं होना चाहिए न केवल राज्य की दृष्टि में सभी नागरिक समान है बल्कि नागरिकों ने भी सार्वजनिक स्थानों पर रिलीजन को बहुत ही ज्यादा आक्रमक रूप में प्रस्तुत नहीं करना चाहिए|

France. Political map: boundaries, cities. Includes locator.

     यह फ्रांस देश की अपनी एक सोच है क्योंकि वह सेमिटिक रिलिजन के द्वारा संगठनात्मक गतिविधि से ऐतिहासिक रूप से प्रभावित रहा है फ्रांस ने अपने इस सेक्युलरिज्म के साथ कभी समझौता नहीं किया है शायद यही कारण रहा कि जब मुसलमानों को अनेकों देशो  से शरणार्थी के रूप से फ्रांस में आने का यूरोपीय यूनियन द्वारा कहा गया या फिर संयुक्त राष्ट्र संघ  द्वारा कहा गया तो फ्रांस ने मुक्त हस्त से सभी प्रकार के शरणार्थियों का स्वागत किया |फ्रांस के संविधान के आर्टिकल फर्स्ट में किसी भी प्रकार से सरकार के किसी भी प्रकार के कार्यों पर रिलिजन का शामिल होना और रिलिजन के प्रभाव  के द्वारा राज्य की नीति निर्धारण करने वाली समितियों का प्रभावित होना प्रतिबंधित  किया गया है सरकार को रिलिजन के मामले में हस्तक्षेप करने से भी रोका गया है इस हेतु फ्रांस ने लेसिक के माध्यम से मनुष्य की निजी लाइफ और उसके सार्वजनिक वातावरण में पर्याप्त भेद किया है फ्रांस के मतानुसार सभी नागरिक केवल नागरिक है और वह अपनी किसी भी पहचान और किसी भी प्रकार के मजहबी विश्वास और नस्ल के कारण राज्य की दृष्टि में विशेष अधिकार या कम अधिकार के योग्य नहीं है सभी समान है |फ्रांस की सरकार किसी भी प्रकार के मजहबी संघटन और मजहबी मौलाना और पादरी आदि के प्रभाव में नहीं आ कर अपना राजनैतिक और नीतिगत निर्णय लोकतंत्र से  करेगी|

   राज्य चर्च और स्टेट को हमेशा अलग रखेगा फ्रांस में इस प्रकार के सेक्युलरिज्म  का पालन बहुत ही निष्ठा और सच्चाई के साथ किया जाता है| वहां पर रिलीजन को क्रिटिसाइज यानी आलोचना करने का भी अधिकार सबको प्राप्त है अधिकांश मुस्लिम देशों में प्रचलित ईशनिंदा जैसा कोई कंसेप्ट वहां पर नहीं है वहां  व्यक्ति को  अपनी बात रखने की पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त है अगर कोई व्यक्ति चाहे कि वह किसी रिलिजन की आलोचना कर सकता है |वह किसी भी रिलीजन के किसी भी व्यक्तित्व की निंदा कर सकता है| उस पर कार्टून बना सकता है उस पर जोक बना सकता है यह सब फ्रांस के कानून के तहत अपराध की श्रेणी में नहीं आता है |

   फ्रांस की इस व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर आघात तब लगा जब फ्रांस द्वारा दिए गए शरणार्थी मुसलमानों ने इस आजादी का विरोध किया और चार्ले हेब्दो  नामक एक कार्टून पत्रिका पर आतंकवादियों ने हमला करके उसमें काम करने वाले निर्दोष पत्रकारों और कार्टूनिस्ट को जान से मार दिया|

 एक कार्टून बनाने की कीमत एक मनुष्य के जान से बड़ी होती है

ऐसा इस्लामिक आतंकियों ने दुनिया को बताया उसके बाद से ही फ्रांस के अंदर सेकुलरिज्म और इस्लामिक मनोवृति पर बहुत चर्चा चल रही है इस चर्चा का असर पूरे दुनिया के लोकतांत्रिक देशों में भी पड़ा है जहां अनेक देशों का मत है कि उनको इस्लामिक सेंटीमेंट्स और इस्लामिक रीति-रिवाजों का सम्मान करना चाहिए वहीं अनेक देशों का मत है कि इस्लाम को भी समय के अनुसार अपने आप को बदल कर अपने से भिन्न विचार वाले को भी स्थान देना चाहिए| यह बात प्रमाणित है कि पूरी दुनिया आज इस्लामिक आतंकवादियों से पीड़ित है और इस्लामिक आतंकवादी अपने सारी गैरकानूनी और आपराधिक एवं मानवता विरोधी गतिविधियों के लिए इस्लाम की किताबों का ही सहारा लेते हैं और अपनी बात को जस्टिफाइड करने के लिए वह इस्लाम के प्राचीन हदीस का उदाहरण देते हैं दूसरी तरफ कुछ मुस्लिम ऐसे भी हैं जो आतंकवादियों के इस कृत्य को इस्लाम विरोधी बता  कर उनको गैर मुस्लिम सिद्ध करते हैं और उनको भटके हुए मुसलमान बताते हैं|

    वास्तव में देखा जाए तो अगर हम किसी देश में जाकर शरण लेते हैं तो हमको उस देश के कानून का सम्मान करना चाहिए उस देश के संविधान के अनुसार अपने आप को चलाना चाहिए परंतु बार-बार मुस्लिम लोग इस बहुत ही आधारभूत बात को इनकार करते हैं वह चाहते हैं कि प्रत्येक देश उनके हिसाब से चलें प्रत्येक देश उनकी शरीयत के अनुसार अपने कानून में फेरबदल करें प्रत्येक देश उनके अपने रीति-रिवाजों तौर-तरीकों को बहुत सम्मान दें प्रत्येक देश उनकी आईडियोलॉजी चाहे वह मध्ययुगीन ही क्यों ना हो उनको ना केवल सम्मान दें बल्कि उसकी सत्ता को स्वीकार करें इस प्रकार की मनोवृति विश्व शांति को गंभीर खतरा है|इस इस्लामिक सुपर मेसी की सोच से नुकसानहै |

    क्या कोई हिंदू या ईसाई देश या यहूदी बौद्ध  देश इस बात को स्वीकार कर सकता है कि बहुविवाह अच्छा है? हलाला जैसी कुप्रथा अच्छा है ? या किसी कार्टून बनाने के  कथित अपराध में किसी निर्दोष की हत्या कर दी जाए ?क्या कोई हिंदू जो प्रतिदिन भगवान श्री राम और भगवान श्री कृष्ण आदि हिंदुओं के पूज्य भगवानों की निंदा सुन कर भी केवल मुस्कुरा कर देता है इस बात को स्वीकार कर सकता है कि इस्लाम मत के पैगंबर मोहम्मद की कोई आलोचना करें और उसके बदले में पूरे के पूरे मुस्लिम समुदाय मरने मारने पर उतारू हो जाए ?क्या यह सभ्य समरस समाज का लक्षण है ? https://cdn.shortpixel.ai/client/q_lossy,ret_img/https:/sanmarg.in/wp-content/uploads/2020/10/bangladesh-protest-against-france-1-e1603881641918.jpg

जाहिर सी बात है कि आज फ्रांस के अंदर 9% मुस्लिम हैं इसलिए वहां से यह आवाज उठ रही है कि फ्रांस अपने शताब्दियों पुराना संविधान और इतिहास के आधार पर खड़ा उनके देश की सोच बदल दें और वह केवल मुस्लिम के लिए सेकुलरिज्म को छोड़कर एक प्रकार के  एसे कृत्य को अपनाएं जिसमें मुस्लिम के लिए विशेष अधिकार हो |पर फ्रांस ने एसा करने से स्पष्ट मना ही नहीं किया है बल्कि  अभी इस लेख लिखी जाने तक वो एक ड्राफ्ट भी ली आया है जिसमे

1 विदेशी फंडिग और प्रभाव पर अंकुश लगा दिया है |

2 किसी भी चिकित्सक द्वारा इस्लामिक रीती रिवाज के लिए कियी जाने वाले स्त्रियों के बर्बर परिक्षण वर्जिनिटी टेस्ट  को बेन कर दिया है

3 रेडिकल इस्लाम को शत्रु मान सभी संगठनो से लिखित मे  लिया है कि वो रिपब्लिक ऑफ़ फ्रांस के कानून को मानेंगे |

4 बच्चो के रिलियस होम स्कुल पर सख्ती की है सभी को सेक्युलर स्कुल लेना जरुरी है |

5 मुस्लिम एसोशियन के स्कुल बंद कर दिए गए है जो फंडामेन्टलिज्म को बढावा देते है |

6 लव जिहाद पर हथोडा चलाते हुवे एसी किसी भी मेरिज की काउंसलिंग हो सकती है जिसमे फ़ोर्स मेरिज का संदेह हो |

7 बहुविवाह बेन कर दिया |

आदि बहुत से प्रावधान किए गए है  इसका प्रभाव पूरे के पूरे दुनिया के लोकतांत्रिक देशों पर पड़ना तय है जहां सभी प्रकार के अपने को लिबरल कहने वाले लोगों ने फ्रांस के नए राष्ट्रपति के चयन पर उनका बहुत स्वागत किया था और यह अपेक्षा की थी कि वह ज्यादा से ज्यादा मुस्लिम शरणार्थियों को अपने यहां शरण देंगे राष्ट्रपति मेक्रोन ने भी उन को निराश नहीं किया था  उनकी नीतियां पहले से अधिक उदारवादी और मुस्लिम शरणार्थियों के प्रति सहिष्णुता की रही थी |लेकिन उसमें बदलाव तब आया जब एक हाई स्कूल के अध्यापक सैमुअल पेटी की सरेआम उनके विद्यार्थियों के सामने एक दूसरे जो चेचन मूल का १८ सा विद्यार्थी ने गला काट कर हत्या कर दी उनका अपराध  केवल इतना था कि वह अपने बच्चों को चार्ली हेब्डो द्वारा प्रकाशित किए हुए कार्टून को बताकर फ्रांस के सेकुलरिज्म को समझा रहे  था |यह बात नहीं है कि उसने उन मुस्लिम बच्चों को बेइज्जत या अपमानित करने के लिहाज से ऐसा किया बल्कि उसने तो उन बच्चों की भावना का विशेष ख्याल रखते हुए उनके लिए अलग क्लास लगवाई थी आप विचार करें कि वह क्या मानसिकता है कि जिस देश में उन्होंने शरण ली है उसी की दूसरी पीढ़ी ने इस प्रकार के कुकृत्य और मानवता विरोधी घटनाक्रम को अंजाम दिया|इसी प्रकार चर्च में प्राथना कर रही निर्दोष महिला का गला रेत दिया जबकि वो एक सामन्य सी महिला थी |

 बहुत ही स्पष्ट बात है कि पूरी दुनिया को दो भागों में बांटने वाला इस्लाम अपने इस नई रणनीति के तहत शरणार्थी बनकर यूरोपियन देशों में घुस रहा है भारत में भी कभी बांग्लादेशी कभी रोहिंग्या बन के घुसता है और इसको दारुल हरब से दारुल इस्लाम बनाने की तैयारी कर रहा है|फ्रांस इस सोच को रोकने में कृत संकल्प है जिसके साथ दुनिया के दुसरे अनेक देश भी खड़े है |ग्रूमिंग जिहाद को रोकने योगी जी ने उत्तर प्रदेश में कानून बनाया है भारत के दुसरे राज्य  भी  इस समस्या को मान रहे है  फ्रांस के देख के इजरायल अमेरिका आदि देश सचेत हो रहे है तुर्की पाकिस्थान जैसे देश विरोध कर रहे है भारत आज फ़्रांस के साथ खड़ा है और यह अपेक्षा है कि इस्लाम अपने को समय के साथ बदल के सभी को स्वीकार्य करेगा ताकि विश्व शान्ति को खतरा न हो |france anti muslim protests: Anti France Protests by Muslims: मुस्लिमों का  फ्रांस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन - Navbharat Times

Saturday, November 28, 2020

शास्त्र अनुसार शक्ति की साधना करना ही लव जिहाद का उपाय

सनातन धर्म में धर्म अर्थ काम मोक्ष का समन्वय है और प्रवृत्ति और निवृत्ति मार्ग स्पष्ट है।बिना प्रवृत्ति के निवृत्ति कठिन है।
काम के बहुत ताकतवर तत्व है इसकी महत्वता कितनी है ये इससे ही समझ लें कोई भी कार्य बिना काम की प्रेरणा से नही हो सकता।
एक विदेशी दार्शनिक ने तो काम को ही जगत का कारण बताया यद्यपि उसके लिये काम का अर्थ केवल नर-नारी मैथुन तक था पर काम केवल इतना ही नही है ये प्रत्येक इच्छा का नाम है।
अपनी प्रत्येक इच्छा की पुर्त्ती करना सनातन धर्म हैं।
आपको धन सम्पदा स्त्री भोग विलास स्वर्ण मुद्रा वाहन पशु आदी सब चाहिए और ये प्राप्त करना अधर्म नही बताया है शास्त्र में।उसकौ प्राप्त करने के लिये बहुत परिश्रम करना बताया।
वेदिक ऋचाओ में  ईश्वर से अपने शत्रुओ को नाश करने का,खूब धन सम्पदा प्राप्त करने का,पशु आदी प्राप्त करने की प्राथना है अनुष्ठान है सनातन धर्म इसको कभी त्याज्य नही मानता है काम शास्त्र के रचीयता वात्सयायन हुवे है जिन्को अनेक लोग या तो बृहस्पति कहते है या चाणक्य।
दोनो ही धर्म और अर्थ के आचार्य है।आज हिन्दू जाती जिस दुर्भाग्य का शिकार हुई है वो बौद्धो और इस्लाम के बाद इसाईयो को लादी गई फर्जी नैतिकता है जिसमे नैतिक जैसा कुछ नही है केवल मिथ्याचार है कुण्ठा है।
जबकी पूर्वज तो इसके ठीक उलट थे।
वो काम को भी सहज ही लेते है कोई टेबू की तरह नहीं।
होली आदी के प्रसंग पर जिसे हम अश्लील कहते है वैसे गायन का भी विधान बताया।वास्तव मे अश्लील कुछ है ही नही।बस स्थान और प्रसंग है।विज्ञान की क्लास में खी खी करते हंसते बच्चे आज भी मेरे को स्मरण है जबकी पढ़ाने वाले अध्यापक बहुत ही सहज थे विज्ञान द्वितीय प्रथम अध्याय ही था जनन।और नर मादा दोनो के पुरे शारिरीक विन्यास का ज्ञान था सचित्र।
काम एक अग्नि है जो सृजन करती है जो सृष्टि को रचने मे प्रजापति की सहायक है।उस ब्रह्म के मन में संकल्प उठा कि मै एक हुँ अनेक हो जाउ।एको बहुस्याम।
वो संकल्प मात्र से अनेक हो गया।
उसका यह संकल्प ही काम है।जिसे हमारे पूर्वजो ने नमस्कार किया है भगवान ने तो स्वयं कहां है
शास्त्र विधि के अनुसार ही काम की पुर्त्ति करना और जो इसकी अवेह्ल्ना करता वो दुख भोगता है ।बहुत लोग ये मानते है कि वेद मनुष्य की उत्पत्ति परमात्मा के शरीर के अंगो से बताता है उनका ये मानना उनके अज्ञान को दर्शाता है ऋग्वेद में तो बहुत ही स्पष्ट आज्ञा है।
विष्णु॒र्योनिं॑ कल्पयतु॒ त्वष्टा॑ रू॒पाणि॑ पिंशतु । आ सि॑ञ्चतु प्र॒जाप॑तिर्धा॒ता गर्भं॑ दधातु ते ॥१॥
गर्भं॑ धेहि सिनीवालि॒ गर्भं॑ धेहि सरस्वति । गर्भं॑ ते अ॒श्विनौ॑ दे॒वावा ध॑त्तां॒ पुष्क॑रस्रजा ॥२॥
हि॒र॒ण्ययी॑ अ॒रणी॒ यं नि॒र्मन्थ॑तो अ॒श्विना॑ । तं त॒त गर्भं॑ हवामहे दश॒मे मा॒सि सूत॑वे ॥३॥10/184
ये सूक्त है भगवान विष्णू से जिसमे कामना गर्भ से उत्तम सन्तान होने की कामना की जा रही है।इसके पहले के सूक्त में तो ओर भी मजेदार बात है
अपश्यं त्वा मनसा चेकितानं तपसो जातं तपसो विभूतम्.
इह प्रजामिह रयिं रराणः प्र जायस्व प्रजया पुत्रकाम.. (१)
हे कर्मों के ज्ञानी, तप से उत्पन्न एवं तपस्या से उन्नत यजमान! मैंने अपने मन की आंखों
से तुम्हें देखा है. तुम यहां संतान एवं धन पाकर प्रसन्न बनो एवं पुत्र की कामना से संतान के
रूप में जन्म लो. (१)
अपश्यं त्वा मनसा दीध्यानां स्वायां तनू ऋत्व्ये नाधमानाम्.
उप मामुच्चा युवतिर्बभूयाः प्र जायस्व प्रजया पुत्रकामे.. (२)
हे पत्नी! मैंने मन की आंखों से तुम्हें दीप्तिशालिनी व ऋतु के अनुसार अपने शरीर में
गर्भाधान की कामना करती हुई देखा है. हे पुत्र की कामना करने वाली! मेरे समीप तुम उत्तम
तरुणी बनो एवं पुत्र उत्पन्न करो. (२)
अहं गर्भमदधामोषधीष्वहं विश्वेषु भुवनेष्वन्तः.
अहं प्रजा अजनयं पृथिव्यामहं जनिभ्यो अपरीषु पुत्रान्.. (३)
मैं होता हूं, ओषधियों में गर्भ धारण करता हूं एवं सभी प्राणियों में गर्भ धारण का
कारण बनता हूं. मैंने धरती पर प्रजा को जन्म दिया है. मैं यज्ञ करके सब नारियों में पुत्र
उत्पन्न कर सकता हूं. (३)

याने वेद भगवान की तो आज्ञा है आप पना यह लोक भी सुख पुर्वक जीओ और अग्निहोत्र आदी करके पर लोक मे भी उत्तम लोक प्राप्त करो।यहां हिन्दू काल्पनिक नैतिकता मे अपनी स्त्री खोते जाते है।उन्का समझ नही आता क्या हुआ?क्यों एसा हो रहा है?
अरे! काम तो बहुत ताकतवर है जब तक ये प्रबल हो के सर मे हावी हो जाये उससे पहले ही उसकौ पहचान करके उसकौ उर्द्धगामि बना दो।
तभी न 
वो वीर्य/रज
से बढते बढते प्रज्ञा होगा न।
स्त्री स्वयं शक्ति है उसकौ खो देने पर सनातन स्वयं डूब जाता है अत: लव जिहाद का जवाब ही केवल शक्ति का संचय करना है शक्ति  के स्वरुप को जानकर तद अनुसार परिश्रम करना है बौद्धो की तरह बिना योग्यता के सन्यास लेना नही।एसा करने से ही मठ विहार पतन में फंस गये और ये यहां से नष्ट हो गया।
ये केवल पढ्ने से नही होना है मेरा एक मित्र है वो हमको वात्सायन की काम सूत्र का ज्ञान देता था एक बार हम लोग फुटबॉल खेलने गये वहाँ उसने इसकी क्लास लगा दी।अध्ययन शिल प्रवर्त्ति है तो काम से धर्म धर्म से अर्थ अर्थ से मोक्ष तक वो आया।
फिर उसका विवाह हो गया।
तब सब समाप्त।
जबकी होना क्या चाहिए?
गृहस्थ जीवन में ही काम अर्थ धर्म मोक्ष का परिक्षण है ये ही साधना है ये बेलेंस है।तब जीवन में रस आयेगा आनन्द आयेगा।तब काममे भी आनन्द होगा और धर्म में भी।
कार्य क्षेत्र मे अर्थ मे भी आनन्द आयेगा और निष्ठा से मोक्ष में भी।
तभी शक्ति के स्वरुप को पहचाने मे हम भूल नही कर पायेंगे।लव जिहाद का हल मेरे तो केवल ये ही समझ आया।
हिन्दू युवक पौरुष को जाग्रत करे।बल की साध्ना करें तब ही शक्ति आप्का वरण करेगी।और ये वेद भी कह रहा है।
बडे होते किशोर वय युवक युवती इस बात को जाने कि आदिम अवस्था मे रहने वाले जनजाती भी प्रेम करते है स्वतंत्र रह्ते है उनकी इच्छा हो सर्व परि है पर वो कबीला का नुकसान नही करते।
आपके प्रेम से समाज को हानी हो रही है तो वो अधर्म है आपको नष्ट करेगा।
कृष्ण की तरह सुभद्रा के प्रेम को पार्थ की तरफ मोडना है उसके पहले कि कोइ दुर्योधन ले जाये।
संयोगिता का वरण पृथ्वी राज ही करेंगे।
राज सिन्ह ही औरंगजेब के जबड़े मे जाने से क्षत्रिय कुमारी को ब्चाएन्गे।
अत: स्त्री को टेबू नही है वो भी वैसी ही मानव है जैसे आप हो।वो भी उतनी ही हिन्दू जितने आप।बस आप को ही मन में झिझक है संकोच है वर्ना उसने तो हजारो सालो से हिन्दुत्व धारण कर रखा है।
आनन्द से जिये।
लव जिहाद से शिकार होने से सबकौ बचायेंगे।
भगवान श्री राम ने कुल धर्म की मर्यादा और प्रेम के लिये अपना और शत्रुओ का रक्त बहाया और रावण का नाश करके भगवती जानकी को मुक्त कराया उसके बाद जानकी को कहा कि अब तुम्हारी इच्छा है वहाँ जाऔ।चाहे जिससे विवाह करो।जानकी को दुख हुवा।क्रोध नही।याने राम जी की दृष्टी मे भी जानकी की इच्छा ही सर्वोपरि है।
चंदेल राजाओ द्वारा बनाये गये इन अदभुत कलाकृतियाँ को देखें
इसको देख्के आपके मन मे क्या जागता है?विचार करें कितना आपका काम धर्म सिद्ध हुवा है उसका मापन है ये।
ओशो से एक ने पूछा था मै यहां ज्ञान ध्यान के लिये आया तो देखता हुँ सब तरफ सुन्दर स्त्रियाँ सुन्दर जोड़े घूम रहे है मेरा मन नही लगता है ज्ञान ध्यान में।तो ओशा हँसा बोला तुन्हारे मन में काम बहुय वर्षो से दबा पडा है और तुमको उसकौ दबा के योगी हो जाना चाहते हो?या एसा ही कुछ कहा था।
याने गृहस्थ मे रह के सब सुख को प्राप्त करना।
उसके बाद सब त्याग देना।
ये ही सनातन धर्म है।
एषो धर्म सनातन
अर्जुन हो जाना 
जय श्री राम